Wednesday, February 27, 2013
भेड़िए आख़िर चाँद की तरफ़ मुँह करके क्यों हुंकार भरते हैं?
चाहे फ़िल्मों की बात करें या फिर किताबी कहानियों की, खौफनाक भेड़ियों की हुंकार हम ज़्यादातर देखते-पढ़ते आए हैं. हाल ही मे हॉलीवुड की बेहतरीन फिल्म, "Twilight" सीरीज़ में भेड़ियों को बेहतरीन तरीके से फिल्माया गया था और कुछेक सीन में वे चाँद की तरफ हुंकार भरते हुए दिखाए गये हैं. खैर, ध्यान देने योग्य बात ये हैं की आख़िर भेड़िए चाँद की तरफ देख के क्यों हुंकार भरते हैं? क्या रहस्य हैं इसका?
एक प्रचलित कहानी के अनुसार प्राचीन जमाने में भेड़ियों को ये शक्ति मिली थी की वो अदृश्य आत्मायो को पहचान लेंगे. और फिर पूर्णिमा के दिन भेड़ियों में ये शक्ति और भी ज़्यादा प्रबल हो जाती थी. ये बात की भेड़िए आत्मायो से बात कर सकते थे या फिर उन्हे देख सकते थे मानवों को नागवार गुज़री और फिर भेड़िए और मानवो मे एक नफ़रत भरी भावनाओ का समन्वय शुरू हो गया.
चूँकि भेड़िए ने मानवो को कभी भी इस राज के बारे में नही बताया...उनकी दुश्मनी दीनो दिन बढ़ती ही गई.
कालांतर में भेड़ियों को ये गुमान हो गया की उनकी शक्ति अद्भुत हैं और इसलिए वो मानवो से भी श्रेस्ट हैं. फिर हुआ ये की ज्यों ज्यों आत्मायो की तादाद बढ़ने लगी, भेड़ियो और मानवो में जंग बढ़ती गई और फिर वो समय भी आया जब आत्मायो ने मौके का फ़ायदा उठा, भेड़ियों से उनकी शक्ति छीन ली!
आत्मायो को ये लगा की भेड़िए उस शक्ति के काबिल नही हैं (कारण की उन्हे गुमान हो गया था और वो बेकाबू होने लगे थे). फल ये हुआ की भेड़ियो को वे आत्मायें नज़र आनी बंद हो गईं. पूर्णिमा के दिन जब भेड़ियो और आत्मायो की शक्ति चरम पे पहुच जाती थी, भेड़िए चाँद की तरफ देख के हुंकार भरते थे ताकि आत्मायें उन्हे उनकी शक्ति लौटा दें.
बस तभी से भेड़िए का चाँद की तरफ देख के (ख़ासकर पूर्णिमा के दिन) हुंकार भरने की परंपरा चली आ रही हैं.
वैसे वैज्ञानिक ये मानते हैं की "हुंकार" एक तरह का भाषाई माध्यम हैं भेड़ियों का ताकि वे एक दूसरे से बातें कर सके. एसा भी कह लीजिए की हुंकार एक तरह का संकेतिक माध्यम हैं एक भेड़ियो का दूसरे भेड़ियो के बीच.
धन्यवाद..
पवन कुमार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment